PM Narendra Modi Guyana Visit : भारत से करीब 13 हजार किलोमीटर दूर स्थित दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत में जुटा है. 56 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री गुयाना की यात्रा करने जा रहा है. लेकिन गुयाना में साल 1838 से भारतीय रह रहे हैं. गुयाना की कुल आबादी में 43 फीसदी भारतीय मूल के लोगों का है और वे कई पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं. जाहिर है ऐसे देश में भारतीय पीएम का यहां पहुंचना दोनों देशों के वर्षों पुराने रिश्तों को और मजबूत करेगा.
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गिरमिटिया मजदूर के तौर पर गए थे भारतीय
गुयाना में बसे भारतीयों की कहानी बेहद रोचक है. वे 1838 में गन्ना बागानों में ठेका मजदूरों के रूप में कैरिबियन देशो में पहुंचे थे. इन मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाता था क्योंकि जिस कागज पर अंगूठे का निशान लगवाकर हर साल हजारों मजदूरों को दक्षिण अफ्रीका या अन्य कैरेबियन देशों में भेजा जाता था उस कागज को गिरमिट कहा जाता था. कुछ समय बाद क्षेत्र के ब्रिटिश उपनिवेशों में दासता को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था. इसके बाद ये लोग वहीं बस गए. इसका नतीजा यह निकला कि आज गुयाना में रहने वाले करीब 43 फीसदी लोग भारतीय मूल के ही हैं, उनमें से 30 फीसदी आबादी हिंदूओं की है.
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गुयाना में आम हैं हिंदीभाषी लोग
गुयाना में भारतीयों की जितनी आबादी है उस हिसाब से यहां हिंदीभाषी लोगों का मिलना तो आम बात है. लेकिन कमाल की बात यह है कि यहां पर आपको भोजपुरी जैसी बिहार की स्थानीय भाषा में बात करते लोग भी नजर आ जाएंगे. गुयाना में रह रहे भारतीयों में बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों के लोग शामिल हैं. जो यहां पर नौकरी, व्यापार, खेती समेत विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं. इसके अलावा यहां रह रहे भारतीयों में छात्र भी शामिल हैं.
तेल, गैस, दवाओं से लेकर शिक्षा-संचार तक में सहयोग
गुयाना में भारत के उच्चायुक्त अमित एस तेलंग ने पीएम मोदी की इस यात्रा की सराहना की और कहा, "यात्रा का महत्व इस तथ्य में निहित है कि हमारे दोनों देशों ने पारंपरिक रूप से बहुत गर्मजोशी भरे और ऐतिहासिक संबंध साझा किए हैं. यह यात्रा, जैसा कि लगभग पांच दशकों, या सटीक रूप से 56 वर्षों के बाद हो रही है, गहरी दोस्ती, आपसी विश्वास और उस तरह के सहयोग का प्रतीक है जो हमारे दोनों देशों ने वर्षों से अनुभव किया है." उन्होंने कहा कि भारत और गुयाना ने कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, तेल और गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, सूचना और संचार प्रौद्योगिकी और शिक्षा सहित प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने का लक्ष्य रखा है.
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